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कुछ ख्वाहिशें अनकही -13-Oct-2023

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 13/10/2023
ख्वाहिशें अनकही

कुछ ख्वाहिशें अनकही सी होती हैं 
कह जाती सबकुछ पर 
खामोश सी रहती हैं।
दिल चाहता जिसे 
उसे पता होता ही नहीं,
और जिसे हम नहीं चाहते 
वह बार- बार सामने आ जाता है।
कुछ ख्वाहिशें अनकही सी होती हैं 
कह जाती सबकुछ पर 
खामोश सी रहती हैं।।
भीगे से अहसास कभी कभी 
नज़दीक आकर 
मन को भिगो जाते हैं। 
बचना चाहे बेशक कितना भी
फिर भी पास बुलाते हैं।
कुछ बातें अपने आप ही 
ज़िंदगी में शामिल होती हैं।
कुछ ख्वाहिशें अनकही सी होती हैं 
कह जाती सबकुछ पर 
खामोश सी रहती हैं।

शाहाना परवीन "शान"...✍️

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7 Comments

Gunjan Kamal

14-Oct-2023 08:41 AM

वाह बहुत खूब

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Mohammed urooj khan

14-Oct-2023 12:03 AM

👌👌👌👌

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hema mohril

13-Oct-2023 11:20 AM

Fantastic poem

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